7 जून को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज़ होने जा रही फ़िल्म 'बजरंग और अली' महज़ एक फ़िल्म नहीं है बल्कि दोस्ती का एक नायाब जश्न है जिसे हर किसी को सिनेमा के बड़े पर्दे पर अनुभव करना चाहिए. फ़िल्म में दो विभिन्न समुदायों से ताल्लुक रखने वाले बजरंग और अली की गहरी और अनूठी दोस्ती को दिलचस्प तरीके से दर्शाया गया है.
फ़िल्म में अलग अलग सांस्कृतिक पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले दो दोस्तों की एक-दूसरे के प्रति वफ़ादारी और निस्वार्थ भाव को बड़े ही मार्मिक अंदाज़ में पेश किया गया है. बजरंग और अली की दोस्ती कुछ इस प्रकार है कि लोग उनकी दोस्ती की मिसालें दिया करते हैं. बजरंग और अली की दोस्ती के माध्यम से यह संदेश भी देने की कोशिश की गयी है कि किसी शख़्स का ताल्लुक किसी भी मज़हब से क्यों ना हो, अगर आपके मन में एक-दूसरे के लिए इज़्ज़त है तो फिर ऐसे में आपकी पृष्ठभूमि कोई मायने नहीं रखती है.
उल्लेखनीय है कि जैसे जैसे फ़िल्म 'बजरंग और अली' की रिलीज़ की तारीख़ करीब आ रही है त्यों त्यों लोगों में एक रोमांचक कहानी से सजी फ़िल्म देखने का उत्साह बढ़ता ही जा रहा है. यह एक ऐसी फ़िल्म है जो लोगों को एकता और दोस्ती की अहमियत का संदेश भी देती है. अपनी अनोखी दोस्ती के ज़रिए फ़िल्म 'बजरंग और अली' इंसानी रिश्तों की क़ीमत से अवगत कराती है और लोगों को धर्म से परे जाकर इंसानी रिश्तों को समझने के लिए प्रेरित करती है.